साँस के बारे में जानकारी जो आपको जाननी बेहद आवश्यक है

 


साँसों के बारे में हम सभी को ज्ञान होना चाहिए, क्योकि वह हमारे जीवन का अहम हिस्सा है साँसों के बर्गर मनुष्य जीवित नहीं रह सकता है।



साँसों को वैज्ञानिक तरिके से से देखा जाये तो आॅक्सीजन को प्राणवायु कहा जाता है। तथा कार्बन-डाई-आॅक्साइड को वेस्ट गैस कहा जाता है। आॅक्सीजन सेल्स या कोशिकाओं के लिए भोजन है यह एन्ज़ाइम्स की उपस्थिति में ग्लूकोज़ का पाचन करती है जिससे उर्जा का निर्माण होता है तथा वेस्ट (मल) के रूप में कार्बन-डाई-आॅक्साइड का उत्सर्जन होता है। यह वेस्ट कार्बन-डाई-आॅक्साइड खून में मिल जाती हैं और फेफडों तक पहुंचकर नाक के रास्ते शरीर से बाहर निकाल दी जाती है। इस क्रिया को श्वसन कहते हैं।

निचे बताये गये तरिको को अपनाकर आप अपने शरीर को स्वस्थ रह सकते हैं और अपने जीवन को लम्बे समय तक बनाये रख सकते हैं।
  • साँसे गहरी और शांत हों।
  • साँसों में ली गई हवा की मात्रा न तो बहुत ज्यादा हो और न ही बहुत कम।
  • जिस प्रकार हवा की कम मात्रा साँसों में लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, उसी प्रकार आवश्यकता से अधिक मात्रा में हवा भी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।
  • मुँह से साँस लेना स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
  • उबासी भी मुँह को बंद करके लें।
  • रात में सोते समय हमारा मुँह खुला न हो, इसके लिए यदि हो सके तो मुंह पर सोते समय कोई पट्टी बांध लें पर कम्बल, चादर आदि से पूरा मुंह ढाँककर कभी न सोयें ।


अधिकतर लोग अपने मुंह से साँस लेने लगते हैं या फिर सोते समय मुंह से साँस लेते हैं। लेकिन लोग ये नहीं जानते कि मुंह से साँस लेना कितना हानिकारक है। मुंह से साँस लेने से शरीर में अनेकों बिमारियाँ होने का खतरा रहता है आईये जानते हैं मुंह से साँस लेने से क्या क्या नुकसान हो सकता है।
  • मुंह से साँस लेने से ओवर ब्रीथिंग हो जाती है। जिससे कि खून में आॅक्सीजन और कार्बन-डाई-आॅक्साइड का संतुलन बिगड़ जाता है। जो कि खून के चभ् को परिवर्तित करके कई रोगों का कारण बनता है।
  • मुंह से साँस लेने से थाॅयरायड, टी.बी. होने की सम्भावना अधिक रहती है।
  • मुंह से साँस  लेने से वायु फेफड़ों के साथ पेट में भी पहुंच जाती है। जो कि गैसेस बनने का कारण है। जिससे भविष्य में पेट संबंधी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  • मुंह से सांस लेने से बाहरी वातावरण की हवा बिना फिल्टर हुए अंदर प्रवेश कर जाती है जिससे कि कई बैक्टीरिया एवं जीवाणु सीधे फेफड़ों में चल जाते हैं और कई प्रकार की बीमारियां पैदा कर देते हैं।
  • मुंह से साँस लेने से वातावरण की हवा सीधे हमारे गले एवं मुंह के सम्पर्क में आती है। जो कि बार-बार टाँसिलाइटिस एवं गले के रोगों को उत्पन्न करती है। 
  • मुंह से साँस लेने से मनुष्य के दाढ़ी, मुछों एवं सिर के बाल बहुत जल्दी सफेद हो जाते हैं। डैण्ड्रफ और सर में खुुजली की समस्याएँ भी पैदा हो जाती हैं। आँखों के आसपास डार्क सर्कल्स का भी यह प्रमुख कारण है।
  • मुंह से साँस लेने से हमारे मुंह में स्थित लार सूख जाती है, इस लार में कई जीवाणुओं एवं विषाणुओं को समाप्त करने वाले एन्जाइम्स पाये जाते हैं। जब ये लार सूख जाती है तो ये बैक्टीरिया मुंह में तीव्रता से बढ़ने लगते हैं। जो मुंह में बदबु, दाँतों की सड़न और मसूढ़ों की बीमारियाँ पैदा करते हैं।
  • इस लार के सूख जाने से हमारे पाचन तंत्र पर भी असर पड़ता है। क्योंकि इस लार में कई प्रकार के पाचन एन्जाइम्स पाये जाते हैं। अतः मुंह से साँस लेने से हमें बदहजमी का भी शिकार होना पड़ता है।
  • दाँतों की सेंसिटिविटी की समस्या में आपको आश्चर्यजनक राहत मिलेगी, यदि आप मुंह से साँस लेना बंद कर दें तो।
  • मुंह से सांस लेने वाले बच्चे रात को बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं।


इतना सारा नुकसान पढने के बाद शायद आपने अपना मुंह बंद कर लिया होगा और नाक से साँस लेना प्रारम्भ कर दिया होगा। यह काबिले तारिफ है लेकिन ये पूरी जिन्दगी करेंगे तो यकीनन कई रोगों से बचे रहेंगे। और जल्दी बुढ़ापे के शिकार भी नहीं होंगे।


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